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अदृश्य ज्योति

4.8
51

अदृश्य ज्योति जिसके आते ही, नभ पर घिर आए काले बादल उस परवरदिगार का क्या कहना जिसने दिया सबको आत्मबल । सब बिखर गया तिनके - तिनके सबके आश्रय को लेकर वह अदृश्य ज्योति चल पड़ी, तिल- तिल जलकर, वह नहीं ...

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लेखक के बारे में
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Jyotsna Shukla
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shikha Srivastava
    11 अक्टूबर 2019
    कविता बहुत सारगर्भित है । बहुत ही सुंदर ढंग से अभिव्यक्त की गई है। 🙂🙂
  • author
    प्रवीण भार्गव
    04 जुलाई 2021
    बहुत अच्छा शब्दों का प्रयोग । एक सुंदर रचना।।
  • author
    Nidhi Sehgal "सेहगल"
    11 अक्टूबर 2019
    भाषा से मन की अभिव्यक्ति अति सुंदर
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  • author
    Shikha Srivastava
    11 अक्टूबर 2019
    कविता बहुत सारगर्भित है । बहुत ही सुंदर ढंग से अभिव्यक्त की गई है। 🙂🙂
  • author
    प्रवीण भार्गव
    04 जुलाई 2021
    बहुत अच्छा शब्दों का प्रयोग । एक सुंदर रचना।।
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    Nidhi Sehgal "सेहगल"
    11 अक्टूबर 2019
    भाषा से मन की अभिव्यक्ति अति सुंदर