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अदृश्य ज्योति

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4.8

अदृश्य ज्योति जिसके आते ही, नभ पर घिर आए काले बादल उस परवरदिगार का क्या कहना जिसने दिया सबको आत्मबल । सब बिखर गया तिनके - तिनके सबके आश्रय को लेकर वह अदृश्य ज्योति चल पड़ी, तिल- तिल जलकर, वह नहीं ...