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अधूरी सी ज़िन्दगी...

4.2
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हर पल का फलसफा,कुछ पा कर जिये। थे गम भी बहुत ,पर मुस्कुरा कर जिये। अब मुलाक़ात-ऐ-मौत हमनशीं, ही क्यों न हो, तसल्ली है, जितना भी जीये, जी भर के जिये। खूबसूरत उस सच से,शायद कुछ भी न होगा थोड़ा अलग पर ...

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लेखक के बारे में
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कविता पांसे
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nilesh Mathur
    06 अप्रैल 2020
    बेहतरीन।
  • author
    कुमार विकास
    20 फ़रवरी 2020
    👌👌👌
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    Nilesh Mathur
    06 अप्रैल 2020
    बेहतरीन।
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    कुमार विकास
    20 फ़रवरी 2020
    👌👌👌