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अधूरी सी ज़िन्दगी...

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4.2

हर पल का फलसफा,कुछ पा कर जिये। थे गम भी बहुत ,पर मुस्कुरा कर जिये। अब मुलाक़ात-ऐ-मौत हमनशीं, ही क्यों न हो, तसल्ली है, जितना भी जीये, जी भर के जिये। खूबसूरत उस सच से,शायद कुछ भी न होगा थोड़ा अलग पर ...