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अधूरे फ़साने की मुकम्मल नज़्म

4.0
7304

कितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में। जब भी पढ़ती है वो उसकी कोई भी रचना न जाने क्यों एक सिहरन सी मच जाती है उसकी नवविकसित देह में। उसके अल्हड़ मन में। उसकी पवित्र अंतरात्मा में। ढेर सारी ...

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लेखक के बारे में
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सुधीर मौर्य

लेखक की कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' को २०१६ में प्रतिलिपि की कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित से किया गया था।

समीक्षा
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    30 जनवरी 2021
    बहुत उलझी हुई सी है। शुरू से अपनी दुविधा रखना चाहूंगी। पहली दुविधा : उस समय ऋषि 21 साल का था तो वर्तिका के जन्म पर ज़्यादा से ज़्यादा 22 साल का रहा होगा।तो अब अगर ऋषि 40 साल का है।इसका मतलब वर्तिका 18 साल की है।तो ऋषि अगर उसकी माँ का प्रेमी न भी रहा होता तो भी वर्तिका का boyfriend बनने के लिहाज से कुछ ज़्यादा नहीं हो गया? दूसरी दुविधा: जिसने उसकी माँ को प्रेमिका की नज़र से देखा हो ,वो उस आदमी को अपना प्रेमी कैसे मान सकती है। तीसरी दुविधा: अगर वो उसकी माँ का प्रेमी था जिसके बहुत चर्चे भी रहे थे ,तो क्या वो वर्तिका के पिता समान नहीं हुआ? चौथी दुविधा: एक तरफ वो ये भी सोच रही है कि प्यार में अंतरंग संबंध बनना कोई बड़ी बात नहीं है।तो जब उस आदमी से उसकी माँ के अंतरंग संबंध होने की पूरी पूरी संभावना है तो कैसे वो उसी इंसान से प्रेम कर सकती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं तो बस यही कहूंगी के वर्तिका एक निहायत ही बेवकूफ लड़की थी जिसे न संबंधों का लिहाज था न ही गरिमा। कल को वो अपने पिता के प्रति भी ऐसी ही सोच रखने लगे तो आश्चर्य की बात नहीं।
  • author
    Sagar Chandorkar
    31 जनवरी 2018
    story aadhi kiu roki.part 2 jaldi likhe
  • author
    Monika chauhan
    13 जुलाई 2018
    achchhi nahi h kahani...at bht bura he.....kahani ki bhasha ...daily shop k "kahani ab tak ki tarah "lagati h........ma ka premi bhi pita saman hi hota h
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    30 जनवरी 2021
    बहुत उलझी हुई सी है। शुरू से अपनी दुविधा रखना चाहूंगी। पहली दुविधा : उस समय ऋषि 21 साल का था तो वर्तिका के जन्म पर ज़्यादा से ज़्यादा 22 साल का रहा होगा।तो अब अगर ऋषि 40 साल का है।इसका मतलब वर्तिका 18 साल की है।तो ऋषि अगर उसकी माँ का प्रेमी न भी रहा होता तो भी वर्तिका का boyfriend बनने के लिहाज से कुछ ज़्यादा नहीं हो गया? दूसरी दुविधा: जिसने उसकी माँ को प्रेमिका की नज़र से देखा हो ,वो उस आदमी को अपना प्रेमी कैसे मान सकती है। तीसरी दुविधा: अगर वो उसकी माँ का प्रेमी था जिसके बहुत चर्चे भी रहे थे ,तो क्या वो वर्तिका के पिता समान नहीं हुआ? चौथी दुविधा: एक तरफ वो ये भी सोच रही है कि प्यार में अंतरंग संबंध बनना कोई बड़ी बात नहीं है।तो जब उस आदमी से उसकी माँ के अंतरंग संबंध होने की पूरी पूरी संभावना है तो कैसे वो उसी इंसान से प्रेम कर सकती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं तो बस यही कहूंगी के वर्तिका एक निहायत ही बेवकूफ लड़की थी जिसे न संबंधों का लिहाज था न ही गरिमा। कल को वो अपने पिता के प्रति भी ऐसी ही सोच रखने लगे तो आश्चर्य की बात नहीं।
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    Sagar Chandorkar
    31 जनवरी 2018
    story aadhi kiu roki.part 2 jaldi likhe
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    Monika chauhan
    13 जुलाई 2018
    achchhi nahi h kahani...at bht bura he.....kahani ki bhasha ...daily shop k "kahani ab tak ki tarah "lagati h........ma ka premi bhi pita saman hi hota h