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अधूरा सपना

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अधूरा सपना आँखों ने फिर सपना देखा सपने में कोई अपना देखा बरबस ही आँखें भर आई भूली बिसरी याद फिर आई वही पुराना ताना बाना मुड़ कर उन गलियों में जाना उसे देखना नज़र चुरा के उसका लजाना नज़र झुका ...

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लेखक के बारे में
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Ashok Mukherjee

लोग क्या सोचेंगे सोचकर अगर कलम उठाएंगे ... ज़िंदगी भर हम कभी भी सच नहीं लिख पाएंगे ... अशोक "अजनबी" सभी मित्रों व पाठकों का आभार जिन्होंने मेरी रचनाऐं पढ़ी व समीक्षा की 🙏🙏🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    rajpal kansal "Raj"
    06 നവംബര്‍ 2022
    अहसास तो होता है उस अधूरेपन का अरमानो से सजाये गये उस सपने का। जो चाहकर भी ना हो सके कभी अपने बस अरमान बनके रह गए अधूरे सपने। 💐💐💐🙏🏾🙏🏾
  • author
    Anuradha singh. "😊"
    19 ജൂലൈ 2023
    बहुत खूब 👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
  • author
    Aparna Verma
    05 നവംബര്‍ 2022
    कसक तो है पर....लाजवाब रचना
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  • author
    rajpal kansal "Raj"
    06 നവംബര്‍ 2022
    अहसास तो होता है उस अधूरेपन का अरमानो से सजाये गये उस सपने का। जो चाहकर भी ना हो सके कभी अपने बस अरमान बनके रह गए अधूरे सपने। 💐💐💐🙏🏾🙏🏾
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    Anuradha singh. "😊"
    19 ജൂലൈ 2023
    बहुत खूब 👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
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    Aparna Verma
    05 നവംബര്‍ 2022
    कसक तो है पर....लाजवाब रचना