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अधूरा प्रेम

4.4
2116

किशोर अवस्था बड़ी नाजुक उम्र होती है। उस समय जो प्यार जिंदगी में मिलता है। बाद में स्थायी रूप से न मिलने पर दिल ओ दिमाग में एक टीस एक याद जिंदगी भर के लिए बनी रह जाती है। 70 के दशक के उत्तरार्द्ध ...

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लेखक के बारे में
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अशोक बरोनिया

मैं अशोक बरोनिया भारतीय वन सेवा (आईएफएस) का सेवानिवृत्त अधिकारी हूँ। कैलाश मानसरोवर की दो बार यात्रा कर चुका हूँ। पहली बार 1998 के पांचवें बैच में। तब मैं कुल 376 किलोमीटर पैदल चला। अधिकतम एक दिन में 45 किलोमीटर। दूसरी बार यात्रा 2011 में तीसरे बैच में की। इसमें अधिकतम एक दिन में 32 किलोमीटर चला। कुल करीब 250 किलोमीटर पैदल यात्रा की। आत्म मंथन के तहत अपने शासकीय सेवाकाल के संस्मरण लिखता हूँ। साथ ही सामयिक विषयों पर व्यंग्य तथा अन्य अनेक विभिन्न विषयों पर लिखता रहता हूँ। छात्र जीवन में कविताएँ भी लिखा करता था, इस विधा को भी अपने में पुनः जागृत करने का प्रयास करता रहता हूँ। एक प्रमुख शौक दुनिया भर की सैर करना और वहां के रीतिरिवाज और कल्चर को जानना है। अभी तक अनेक एशियाई और योरपीय देशों की यात्रा कर चुका हूँ। अमेरिका भी दो बार घूम चुका हूँ। आगे भी लगातार नए देशों की यात्रा कर उनके कल्चर को जानने को इच्छुक बना रहता हूँ। कोई भी यात्रा मुझे ऊर्जा प्रदान करती है। मेरे संपर्क - 9425119940 / 9407319940 Email - [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sonia Pratibha Tani
    30 ഒക്റ്റോബര്‍ 2018
    बहुत सुंदर कहानी दिल को छू लिया
  • author
    simar Gill
    29 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    nice story
  • author
    Bhagwan Bhatt
    28 നവംബര്‍ 2019
    दिल की दीवारों को झकझोर दिया दिल से जय हिन्द
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  • author
    Sonia Pratibha Tani
    30 ഒക്റ്റോബര്‍ 2018
    बहुत सुंदर कहानी दिल को छू लिया
  • author
    simar Gill
    29 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    nice story
  • author
    Bhagwan Bhatt
    28 നവംബര്‍ 2019
    दिल की दीवारों को झकझोर दिया दिल से जय हिन्द