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अचकन

4.3
37

पिछले आठ महीने से शोपिंग तो दूर एक पैसा भी अपने हाथ से नहीं खर्चा| यूँ तो इस  "लाकडाउन आपदा" से मुझ पर  अधिक मानसिक दुष्प्रभाव नहीं पडा अतः सुप्तप्राय रचनात्मक रुचि को परिष्कृत करने का उपक्रम ...

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लेखक के बारे में
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Shail Tiwari
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    vandana pandey
    28 दिसम्बर 2020
    बहुत ही ह्रदय स्पर्शी ।सामने पिताजी ही आ कर खड़े हो गए ।बचपन की स्मृतियां धूमिल हो जाय पर मिट ती कहां। ज़हन में सब कुछ ताज़ा हो गया।
  • author
    Rajni Nagar
    27 दिसम्बर 2020
    ंअति सुन्दर भाषा सौन्दर्य के साथ सजीव एवं हृदयस्पर्शी संस्मरण
  • author
    Aditi Shukla
    27 दिसम्बर 2020
    बहुत सुंदर कृति। हृदय को छु गई।mam आप बहुत अच्छा लिखती हैं।
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    vandana pandey
    28 दिसम्बर 2020
    बहुत ही ह्रदय स्पर्शी ।सामने पिताजी ही आ कर खड़े हो गए ।बचपन की स्मृतियां धूमिल हो जाय पर मिट ती कहां। ज़हन में सब कुछ ताज़ा हो गया।
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    Rajni Nagar
    27 दिसम्बर 2020
    ंअति सुन्दर भाषा सौन्दर्य के साथ सजीव एवं हृदयस्पर्शी संस्मरण
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    Aditi Shukla
    27 दिसम्बर 2020
    बहुत सुंदर कृति। हृदय को छु गई।mam आप बहुत अच्छा लिखती हैं।