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आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का आलोचना विवेक और इतिहास के सवाल

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आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के आलोचनात्मक विवेक के समक्ष इतिहास के क्या सवाल थे? क्या चुनौतियाँ थीं ? इसे समझना आवश्यक है। फिर, यह देखना भी आवश्यक होगा कि उन चुनौतियों से जूझने की उनकी तकनीक क्या ...

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लेखक के बारे में

मँजी हुई शर्म का जनतंत्र के (कविता संकलन) साहित्य समाज और जनतंत्र (लेख संकलन) बाजारवाद और जनतंत्र (लेख संकलन) आजादी और राष्ट्रीयता का मतलब (लेख संकलन) छुटे हुए क्षण (जीवनानुभव) कई पुस्तकों के सहलेखक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता में कार्यरत। संपर्क : [email protected] मोबाइल : 919007725174

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    Ramji Bhartia
    05 मई 2017
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    Ramji Bhartia
    05 मई 2017
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