pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अब्र बन कोई न आया देर तक

4.4
1097

अब्र बन कोई न आया देर तक धूप का तन्हा था साया देर तक दम मिरा उस दम निकलने को हुआ दूरियों ने जब सताया देर तक आँख मूँदे थे कहाँ सोये थे हम याद का पैकर जब आया देर तक आप से कुछ कह नहीं पाए मगर ख़ुद को ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
रेणु मिश्रा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Komal
    01 जुलाई 2025
    लाजवाब 👌👌 वक्त की धूप में अंगार सी झुलसती रही ज़िंदगी, . अब जनाजे पर मिरे ऐसा अब्र बरसा के बरसता ही रहा...
  • author
    11 अप्रैल 2020
    उम्दा रचना.... सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता " झज्जर (हरियाणा ) #9466865227
  • author
    26 जून 2019
    वाह वाह वाह!!!! पढ़ कर बहुत अच्छा लगा....... देर तक 🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Komal
    01 जुलाई 2025
    लाजवाब 👌👌 वक्त की धूप में अंगार सी झुलसती रही ज़िंदगी, . अब जनाजे पर मिरे ऐसा अब्र बरसा के बरसता ही रहा...
  • author
    11 अप्रैल 2020
    उम्दा रचना.... सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता " झज्जर (हरियाणा ) #9466865227
  • author
    26 जून 2019
    वाह वाह वाह!!!! पढ़ कर बहुत अच्छा लगा....... देर तक 🙏