अब्र बन कोई न आया देर तक धूप का तन्हा था साया देर तक दम मिरा उस दम निकलने को हुआ दूरियों ने जब सताया देर तक आँख मूँदे थे कहाँ सोये थे हम याद का पैकर जब आया देर तक आप से कुछ कह नहीं पाए मगर ख़ुद को ...
अब्र बन कोई न आया देर तक धूप का तन्हा था साया देर तक दम मिरा उस दम निकलने को हुआ दूरियों ने जब सताया देर तक आँख मूँदे थे कहाँ सोये थे हम याद का पैकर जब आया देर तक आप से कुछ कह नहीं पाए मगर ख़ुद को ...