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अभी ना जाओ छोड़कर

4.4
4683

आज अमित का तबियत थोड़ा ठीक नही लग रहा था; इसलिए पार्क के दो चक्कर लगाने के बाद ही पार्क के एक कोने में बने बेंच पर बैठ गया. सुबह की सुनहली धुप पेड़ों के पत्तों से छनकर चेहरे पर पड़ रही थी, जो ...

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लेखक के बारे में

कहानी, कविता, ग़ज़ल, गीत, मुक्तक आदि विभिन्न विधाओं में लेखन। (सपंर्क संख्या : 9907678437 )

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sushma Singh
    02 अप्रैल 2018
    कहानी अच्छी तो है पर अधूरी है
  • author
    श्रवण शर्मा
    09 जुलाई 2018
    सुन्दर
  • author
    Monika Singh
    19 अप्रैल 2018
    बहुत ही अच्छी कहानी है । निश्छल प्रेम की अनूठी कहानी । पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा ।
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    Sushma Singh
    02 अप्रैल 2018
    कहानी अच्छी तो है पर अधूरी है
  • author
    श्रवण शर्मा
    09 जुलाई 2018
    सुन्दर
  • author
    Monika Singh
    19 अप्रैल 2018
    बहुत ही अच्छी कहानी है । निश्छल प्रेम की अनूठी कहानी । पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा ।