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आज़ादी

4.5
11020

रघु जेल की कोठरी की छोटी-सी खिड़की से उड़ती चिडियाँ ...तो कभी दूर उड़ रहे हवाई जहाज़ को देखता। वही तो हिस्सा था जिससे बहार की दुनिया को देख पाता। नहींं तो वही कोठरी के कैदियों के भयानक चहेरे। रघु ने इस ...

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लेखक के बारे में
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संजय कुमार

महाभारतकालीन संजय की तरह ही दीर्घ दृष्टि, असीम कल्पनाशक्ति और विचारशक्ति के धनी संजय विद्याप्राप्ति में स्नातक तक पढ़े हैं । कहानी, नाटक और सिनेमा उनके प्रिय क्षेत्र है । अपने विचार और कल्पनाशक्ति को कहानी के स्वरूप में परिवर्तित करने का वे बचपन से ही प्रयास करते आए हैं । 'फिर प्यार हो गया' स्वार्थ और त्याग आधारित कथा को प्रस्तुत करनेवाला यह उनका प्रथम पुस्तक है । । 'फिर प्यार हो गया' उनके मन में उद्दीप्त कल्पनाशक्ति और लेखनक्षमता का परिणाम है । इस प्रयास में उनकी सफलता ही उनके प्रयत्नों का प्रतिसाद है ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vibha Patel
    17 मार्च 2018
    rula diya .. but really Awesome story.. bohot hi samvedansheel kahani h 👌👌👌👌👌
  • author
    DEVESH
    13 दिसम्बर 2019
    श्रेष्ठ रचना, पिता के प्यार को इंगित करती भावमय रचना प्रस्तुत करने के लिए लेखक का आभार। धन्यवाद .🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
  • author
    rajni
    07 मार्च 2018
    heart thouching ztory
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vibha Patel
    17 मार्च 2018
    rula diya .. but really Awesome story.. bohot hi samvedansheel kahani h 👌👌👌👌👌
  • author
    DEVESH
    13 दिसम्बर 2019
    श्रेष्ठ रचना, पिता के प्यार को इंगित करती भावमय रचना प्रस्तुत करने के लिए लेखक का आभार। धन्यवाद .🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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    rajni
    07 मार्च 2018
    heart thouching ztory