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आटा चक्की

4.4
7391

विक्की ने पहली बार और बार बार रानी को यही देखा था और कहीं नहीं। उसे पता था वह शुक्ला मास्टर साहब की लड़की थी लेकिन आटा चक्की के अलावा और किसी जगह उसने रानी को नहीं देखा था। स्कूल जाना तो वह तीन ...

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लेखक के बारे में
author
Rahul Shrivastava

यूँ ही कभी बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ। लिखते वक्त मैं, मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Yogendra Singh
    25 ऑगस्ट 2018
    कथा बहुत अच्छी लगी, आखिरी में "पंच" लाइन बहुत ही सुन्दर है. एक अच्छी कथा के लिए बधाई स्वीकार करें.
  • author
    Aruna Garg
    25 डिसेंबर 2019
    बहुत अच्छी कहानी ।अंत की लाइने सबसे प्यारी थी।
  • author
    29 ऑक्टोबर 2019
    wow,vaise aap kon se baikunthpur ki bat kar rhe h
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    Yogendra Singh
    25 ऑगस्ट 2018
    कथा बहुत अच्छी लगी, आखिरी में "पंच" लाइन बहुत ही सुन्दर है. एक अच्छी कथा के लिए बधाई स्वीकार करें.
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    Aruna Garg
    25 डिसेंबर 2019
    बहुत अच्छी कहानी ।अंत की लाइने सबसे प्यारी थी।
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    29 ऑक्टोबर 2019
    wow,vaise aap kon se baikunthpur ki bat kar rhe h