pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आशियाना

5
257

आशियाना मिट्टी का धूल बन उङ गया , रह गए अब वो निशां जिसमें संसार मेरा सिमट गया ।। ढेर ये मिट्टी का बिखरा है यहाँ - वहाँ , हर कोई लेकर जाना चाहे बनाए इससे अपना आशियां ।। कहते - कहते थक सा गया हूँ ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
सुमित सिंह

मॉस्टर इन इंजीनियरिंग, मास्टर इन हिन्दी और फोटोग्राफर. ठिकाना- जयपुर

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    14 अक्टूबर 2023
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Raushan Sharma "Raushan"
    18 दिसम्बर 2019
    I also want to write like you very nice
  • author
    Bhakti Sawant
    16 जनवरी 2022
    bohat acha laga
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    14 अक्टूबर 2023
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Raushan Sharma "Raushan"
    18 दिसम्बर 2019
    I also want to write like you very nice
  • author
    Bhakti Sawant
    16 जनवरी 2022
    bohat acha laga