आशिकी इक बार करनी थी कर ली हमने चंद लम्हा ही सही ज़िन्दगी जी ली हमने चाहे रहे खामोश उम्रभर ये वादा निभाएंगे दूर तुमसे रहे तो क्या मुहब्बत के दिये दिल में जलाएंगे ...
इल्तजा उनकी थी , कुछ कहें अपने बारे में,
कैसे कहें अक्स़ बदल जाता है रोज़ ,यारों के चौबारे में,
आज जो हैं ,कल कुछ भी नहीं, फिर क्या होंगे कुछ इल्म नहीं,
बेहिस सी जिंदगानी में , कुछ रंग भर देना जुल्म नहीं
होंगे कई श़ख्स मुरीद अपनी पहचां के,
हम वो हैं ,जो बस उसकी ,रहमत में जिया करते हैं।
सारांश
इल्तजा उनकी थी , कुछ कहें अपने बारे में,
कैसे कहें अक्स़ बदल जाता है रोज़ ,यारों के चौबारे में,
आज जो हैं ,कल कुछ भी नहीं, फिर क्या होंगे कुछ इल्म नहीं,
बेहिस सी जिंदगानी में , कुछ रंग भर देना जुल्म नहीं
होंगे कई श़ख्स मुरीद अपनी पहचां के,
हम वो हैं ,जो बस उसकी ,रहमत में जिया करते हैं।
रिपोर्ट की समस्या
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