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आरंभ है प्रचंड

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आरम्भ है प्रचण्ड, बोले मस्तकों के झुंडआज जंग की घड़ी की तुम गुहार दोआन बान शान या कि जान का हो दानआज इक धनुष के बाण पे उतार दोआरम्भ है प्रचण्ड...मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण लेवही तो एक ...

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Niralii
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 नवम्बर 2022
    very nice....👌🌷♥️👌👌♥️👌♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️👌♥️👌♥️♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️👌♥️👌
  • author
    प्रवीन "शिव"
    29 नवम्बर 2022
    बेहतरीन लिखा है आपने ऐसे ही लिखते रहिए बहुत-बहुत बधाई आपको सुंदर रचना के लिए💐💐💐💐💐💐🙏
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    29 नवम्बर 2022
    very nice....👌🌷♥️👌👌♥️👌♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️👌♥️👌♥️♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️🌷♥️👌♥️👌
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    प्रवीन "शिव"
    29 नवम्बर 2022
    बेहतरीन लिखा है आपने ऐसे ही लिखते रहिए बहुत-बहुत बधाई आपको सुंदर रचना के लिए💐💐💐💐💐💐🙏