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आप के आम

4.2
551

आम का मौसम फिर आ गया .सब तरफ आम ही आम -- कहावत तो यही है कि kआम के आम , गुठलियों के दाम . लेकिन सुनने में कुछ गलती हुई शायद . वे लोग कह रहे थे – आप के आम गुठलियों के दाम . मैं सोच रहा था आखिर गुठली ...

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लेखक के बारे में

15 सितम्बर 1965, भोपाल बी. एस-सी., एम. ए. (हिन्दी, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र ) , पी-एच. डी., डी. लिट. (हिन्दी) नेट तथा जूनियर रिसर्च फेलोशिप अमेरिकन लिटरेचर ,गांधी दर्शन , तथा आंचलिक उपन्यासों पर विशेष कार्य भारतीय मिथकों पर उच्च स्तरीय शोधकार्य बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में शोध निर्देशक , प्रकाशित पुस्तकें कहानी संग्रह - 1 - अहं ब्रह्मास्मि 2- इच्छाधारी लड़की 3- रुकोगी नहीं उर्वशी आलोचना – 1- भाषा विज्ञान २- लोक साहित्य 3- दृश्य-श्रव्य माध्यम लेखन 4- हिन्दी भाषा 5- हिन्दी साहित्य का प्राचीन इतिहास 6- उर्वशी और पुरुरवा की प्रेमाख्यान परम्परा और दिनकर की उर्वशी 7- हिन्दी साहित्य का अर्वाचीन इतिहास - सारिका, साक्षात्कार, वागर्थ आदि पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन । कविताओं , आलेख और शोधपत्रों का लगातार प्रकाशन । - उर्वशी (शोध साहित्य एवं संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय त्रैमासिकी ) wwwका सम्पादन ।

समीक्षा
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  • author
    Samta Parmeshwar
    02 अगस्त 2019
    बहुत सुन्दर रचना है 👌👌 कैसे आम से खास होते हैं यह बड़ी ही रोचकता से उकेरा है आपकी कलम ने। कहानी पसंद आई।
  • author
    Harshita Acharya
    08 सितम्बर 2020
    मैने बहुत दिन बाद हास्य व्यंग को सार्थक करती हुई रचना पढ़ी है ।
  • author
    07 फ़रवरी 2019
    जो तो सारी रचना आम ही आम है पर लेखन बहुत खास है
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    Samta Parmeshwar
    02 अगस्त 2019
    बहुत सुन्दर रचना है 👌👌 कैसे आम से खास होते हैं यह बड़ी ही रोचकता से उकेरा है आपकी कलम ने। कहानी पसंद आई।
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    Harshita Acharya
    08 सितम्बर 2020
    मैने बहुत दिन बाद हास्य व्यंग को सार्थक करती हुई रचना पढ़ी है ।
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    07 फ़रवरी 2019
    जो तो सारी रचना आम ही आम है पर लेखन बहुत खास है