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आओ वहाँ जाते है...

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जहाँ ना हो कोई घुटन जहाँ ना हो कोई बंधन जहाँ ना हो कोई बिछड़न जहाँ ना हो कोई चिंतन...! ना हो कोई आज़माइश ना हो कोई समझाइश ना हो कोई शिकायत ना हो वक्त की किफायत...! जहाँ हो ज़मीं आसमां का मिलन जहाँ हो ...

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लेखक के बारे में

मैं पेशे से एडवोकेट हूँ पर पढ़ना और लिखना मेरा शौक है......प्रतिलिपि एक ऐसा माध्यम है जिसकी वजह से मैं अपने मन कि भावनाओं को रचनाओं के द्वारा लोगो तक पंहुचा सकती हूँ..... मेरी सभी रचनाएँ स्वरचित और मौलिक है और सर्वाधिकार सुरक्षित है ll तथा कॉपी राइट एक्ट के अंतर्गत प्रस्तावित है l अन्यथा की स्थिति मे हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में कार्यवाही की जाएगी..l सुषमा सिंह (एडवोकेट )

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mamta Jha "आपकी मनु"
    08 जून 2021
    बहुत सुंदर लिखा आपने, सच है ऐसी जगह ढूंढना मुश्किल है पर कोशिश से थोड़ा बहुत बनाया जा सकता है🌷🌷🌷👌👌👌👌
  • author
    08 जून 2021
    बहुत सुंदर प्यारी रचना बहुत सुंदर जहां का आपने वर्णन किया काश हम भी वही चल पाते ..बहुत बेहतरीन प्रस्तुति..🙏🙏❤️❤️❤️🌹🌹
  • author
    sarita chand
    08 जून 2021
    बहुत प्यारी और यथार्थ पुर्ण रचना उत्कृष्ट लेखन बहुत बेहतरीन प्रस्तुति 👏👏👏👏👏👍👍👍👍👌👌👌
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    Mamta Jha "आपकी मनु"
    08 जून 2021
    बहुत सुंदर लिखा आपने, सच है ऐसी जगह ढूंढना मुश्किल है पर कोशिश से थोड़ा बहुत बनाया जा सकता है🌷🌷🌷👌👌👌👌
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    08 जून 2021
    बहुत सुंदर प्यारी रचना बहुत सुंदर जहां का आपने वर्णन किया काश हम भी वही चल पाते ..बहुत बेहतरीन प्रस्तुति..🙏🙏❤️❤️❤️🌹🌹
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    sarita chand
    08 जून 2021
    बहुत प्यारी और यथार्थ पुर्ण रचना उत्कृष्ट लेखन बहुत बेहतरीन प्रस्तुति 👏👏👏👏👏👍👍👍👍👌👌👌