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आंसू : एक अंतहीन वेदना

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" जाओ जल्दी से नहा लो | खाना बन गया है | और तौलिया बाहर धुप में ही डाल देना | तुम्हारी आदत बन गयी हैै नहाकर तौलिया बिस्तर पर ही फेंक देने की | " बिस्तर पर बिखरे कपड़ो को समेटते हुये गुस्से में जया ...