pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आंसू : एक अंतहीन वेदना

4.0
9566

" जाओ जल्दी से नहा लो | खाना बन गया है | और तौलिया बाहर धुप में ही डाल देना | तुम्हारी आदत बन गयी हैै नहाकर तौलिया बिस्तर पर ही फेंक देने की | " बिखरे पड़े पुराने कपड़ो को समेटते हुये गुस्से में जया ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
बृजेश सिंह

अँधेरे से गुजर कर उजाले तक की यात्रा.....

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Priyanka Puja
    26 सितम्बर 2017
    kahani khatm ho gai pata hi nai chala.. incomplete
  • author
    Sanjay Golchha
    24 सितम्बर 2017
    आधी अधूरी कहानी वैसे यहां लगभग लेखक आधा अधूरा ही लिखते हैं।
  • author
    Saurabh Srivastava
    24 सितम्बर 2017
    कृपया कहानी को इस प्रकार अंत न करें.एक उद्देश्य}पूर्ण मोड़ पे ख़त्म करें
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Priyanka Puja
    26 सितम्बर 2017
    kahani khatm ho gai pata hi nai chala.. incomplete
  • author
    Sanjay Golchha
    24 सितम्बर 2017
    आधी अधूरी कहानी वैसे यहां लगभग लेखक आधा अधूरा ही लिखते हैं।
  • author
    Saurabh Srivastava
    24 सितम्बर 2017
    कृपया कहानी को इस प्रकार अंत न करें.एक उद्देश्य}पूर्ण मोड़ पे ख़त्म करें