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आंसू

4.6
7

लाख चाहूं अपने आंसुओ को छिपाना ये बेशर्म आंसू आ ही जाते है, चाहे अनचाहे मेरी आंखों में छलक ही जाते है शायद खुशी जब बेशुमार होती है तब भी आंसुओ से सरोबार होती है,... दुखो की तो बात ही न पूछो दिल ...

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लेखक के बारे में
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Poonam upender Singh

मिट्टी भी पुरानी बीज भी पुराना बस अंकुरण वर्षो बाद हुआ☺😶

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Bedi
    16 मई 2021
    क्योंकि इसमें कोई हटकर विषय पर चर्चा नहीं है धन्यवाद
  • author
    Ashwani Kumar
    16 मई 2021
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
  • author
    Babita Shukla
    16 मई 2021
    शानदार प्रस्तुति
  • author
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  • author
    Rakesh Bedi
    16 मई 2021
    क्योंकि इसमें कोई हटकर विषय पर चर्चा नहीं है धन्यवाद
  • author
    Ashwani Kumar
    16 मई 2021
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
  • author
    Babita Shukla
    16 मई 2021
    शानदार प्रस्तुति