दोपहर का वक्त था। चिलचिलाती धूप में मैं उस भीड़ भरे स्टेशन पर एक छोड़ दूसरे, दूसरे से तीसरे शेड के नीचे की बेंच तलाश कर रही थी। पर कहीं जगह की कोई गुंजाइश नहीं थी। सभी प्लेसेस ओवरक्राउडेड और फुल ...
हम, अपने हृदय की गूँज को कविताओं और कहानियों के रूप में यहाँ पर संकलित कर रहे हैं केवल इसलिए कि अगले जन्म में आकर पुनः पढ सकें और देख सकें कि हमारी मनोवांछना ने कौन सा आकार धारण किया है!
मैं चाहूँ, हर रूप में ढल जाऊँ
खुद को सभी के भावों में पाऊँ।
दुःख-दर्द उनके अपनाऊँ
खोजूँ नए रास्ते, दुःख मिटाऊँ।
हँसूँ-मुस्काऊँ सबके संग
सबको जीवन का वैभव दिखलाऊँ।
सारांश
हम, अपने हृदय की गूँज को कविताओं और कहानियों के रूप में यहाँ पर संकलित कर रहे हैं केवल इसलिए कि अगले जन्म में आकर पुनः पढ सकें और देख सकें कि हमारी मनोवांछना ने कौन सा आकार धारण किया है!
मैं चाहूँ, हर रूप में ढल जाऊँ
खुद को सभी के भावों में पाऊँ।
दुःख-दर्द उनके अपनाऊँ
खोजूँ नए रास्ते, दुःख मिटाऊँ।
हँसूँ-मुस्काऊँ सबके संग
सबको जीवन का वैभव दिखलाऊँ।
बहुत सुंदर कहानी 👌
माता रानी कब किस रूप में हमारी मदद करतीं हैं कहना कठिन है। कहानी की शुरुआत से लगा प्रेम कहानी होगी पर आखिरी बैंच पर माता रानी के दर्शन 🙏 धन्य आपकी लेखनी को।
बहुत समय बाद आज आपकी रचनाएं पढ़ी अच्छा लगा
रिपोर्ट की समस्या
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बहुत सुंदर कहानी 👌
माता रानी कब किस रूप में हमारी मदद करतीं हैं कहना कठिन है। कहानी की शुरुआत से लगा प्रेम कहानी होगी पर आखिरी बैंच पर माता रानी के दर्शन 🙏 धन्य आपकी लेखनी को।
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