pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आखिर कब तक

4.6
438

आखिर कब तक हवस का ये नंगा नाच चलता रहेगा। सिर्फ दिखावे के लिए ही तुम्हारा खून उबलता रहेगा। दो दिन कर के धरना प्रदर्शन सब चैन से बैठ जाते हैं। ना जाने क्यों हर बार राजनेताओं की बातों में आते हैं। हर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

पूरा नाम: डॉ सुलक्षणा अहलावत लेक्चरर इन इंग्लिश एजुकेशन डिपार्टमेंट हरियाणा गवर्मेंट

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jagrati Pushkarna
    25 जून 2018
    bhut hii shii likha hai aapne.... ab nari ko hii hthiyar udhane hoge... bhut hi achaa... wonderful..
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    02 अप्रैल 2019
    अति सुंदर! भावपूर्ण व सार्थक रचना👌👌👌👌। अपना कवच खुद ही बनने का आह्वान करती बेहतरीन रचना।।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jagrati Pushkarna
    25 जून 2018
    bhut hii shii likha hai aapne.... ab nari ko hii hthiyar udhane hoge... bhut hi achaa... wonderful..
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    02 अप्रैल 2019
    अति सुंदर! भावपूर्ण व सार्थक रचना👌👌👌👌। अपना कवच खुद ही बनने का आह्वान करती बेहतरीन रचना।।