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आजाद परिंदा

4.7
5215

ये कहानी है एक नन्हे से लड़के छोटू की । जो पैसे कमाने की चाह में शहर आता है , और कुछ ही समय मे यहां लोगो के बर्ताव से तंग आकर वापस अपने गांव जाने को आतुर है

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लेखक के बारे में

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एम कॉम करने के बाद , पिछले कुछ समय से लिखना शुरू किया , अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ अधूरे किस्से पूरे करती हूं , कुछ सामाजिक बुराईयों का हल ढूंढने की कोशिश भी करती हूं , जिसके माध्यम से समाज को अच्छा सन्देश दे सकूँ , हाल ही में शिकायत प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार मिलने से सकारात्मक भाव आया है , समाचार पत्रों में समय समय पर लेख , कवितायें प्रकाशित होती है , आज लेखनी में जो भी पहचान बना पाई हूँ , उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है जो अब हमारे बीच नही है अगर अच्छी लेखक बन पाऊं तो उन्हें ये मेरी सच्ची श्रद्धाजंलि होगी ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Usha Mishra
    02 অগাস্ট 2019
    मार्मिक कहानी बढ़िया अंत के साथ ।
  • author
    Pushpendra Thakur
    25 জুলাই 2020
    एक अनमोल कहानी 👌👌
  • author
    shashiprabha srivastava
    01 অগাস্ট 2019
    bhut sundr rchna
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Usha Mishra
    02 অগাস্ট 2019
    मार्मिक कहानी बढ़िया अंत के साथ ।
  • author
    Pushpendra Thakur
    25 জুলাই 2020
    एक अनमोल कहानी 👌👌
  • author
    shashiprabha srivastava
    01 অগাস্ট 2019
    bhut sundr rchna