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आज नगद और कल उधार

4.6
43

जो नगद लेते हैं वो तो सब के सब अपने हैं। जिनको दे दिया उधार ,वो बस अब सपने हैं।। जो नकद लेते हैं वो दुकान पर रोज ही आते हैं। जिनको दे दिया उधार वो तो हमें भूल जाते हैं ।। जो पहले उधार खाते हैं वो ही ...

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लेखक के बारे में
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RAJNEESH SHUKLA

मेरा प्रयास और आपकी प्रशंसा एक नया इतिहास रच देंगे ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditi Tandon
    17 ആഗസ്റ്റ്‌ 2025
    जी ऐसा ही होता है सही लिखा है आपने,✍️✍️✍️✍️
  • author
    Rekha Jain
    16 ഒക്റ്റോബര്‍ 2022
    एकदम सटीक रचना नगद और उधार पर अच्छा व्यंग्य है
  • author
    Rajni Barnwal
    12 നവംബര്‍ 2022
    बिल्कुल सही बात 👌👌👌👌👌💐🙏
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  • author
    Aditi Tandon
    17 ആഗസ്റ്റ്‌ 2025
    जी ऐसा ही होता है सही लिखा है आपने,✍️✍️✍️✍️
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    Rekha Jain
    16 ഒക്റ്റോബര്‍ 2022
    एकदम सटीक रचना नगद और उधार पर अच्छा व्यंग्य है
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    Rajni Barnwal
    12 നവംബര്‍ 2022
    बिल्कुल सही बात 👌👌👌👌👌💐🙏