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आज मेरा मन बैचेन है

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आज मेरा मन बैचेन है, मन का खोया जैसे सुख-चैन है | मन में दर्द हो उठा है, इसके कारण जी मचल उठा है | मन में खयालों का साया है, उजियाले की बजाये दर्द की छाया है | मन जैसे तूफ़ान से घिरा है, जैसे काले ...

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लेखक के बारे में

नाव:- श्री. धनंजय शंकर पाटील. जन्म तारिख:- 07/12/1989 राहणार:- तालुका.मंगळवेढा, जिल्हा.सोलापूर. व्यवसाय:- शिक्षण. छंद:- कविता,कथा,चारोळी लेखन, गाणे ऐकणे. फ़ोन नंबर:- :- 8380916155 Email id:- [email protected] शालेय जीवनापासून मला कला विषयात विशेष रस असल्यामुळे, मराठी, हिंदी भाषेमध्ये काव्यरचना करू लागलो. नव-नवीन साहित्य प्रकार शिकण्याची खूप आवड असल्यामुळे निबंध, कथा, लेख असे लेखन करत गेलो. जेव्हा फेसबूक सोशल नेटवर्किंगच व्यासपीठ मिळालं, तेव्हा अनेक साहित्य प्रकार शिकलो. कविता, कथा, चारोळी, लेख असे साहित्यप्रकार (मराठी आणि हिंदी) भाषेतून लिहीत गेलो. शब्दांशी घट्ट अशी मैत्री जमली. आता हा शाब्दिक साहित्यरूपी प्रवास, मनाला हर्षानंद देतो. "शब्दों का ये कारवाँ, सदा यूँ ही चलता रहे | आपका स्नेह, प्यार मन को हरवक्त मिलता रहे |"

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    renu kapoor very innovative
    23 जून 2022
    दर्द से परिपूर्ण रचना है
  • author
    Sanyogita Thakur
    29 दिसम्बर 2018
    sundar
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    renu kapoor very innovative
    23 जून 2022
    दर्द से परिपूर्ण रचना है
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    Sanyogita Thakur
    29 दिसम्बर 2018
    sundar