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आज की गंगा

4.6
12

गंगा माँ कहते हैं जिनको, देते नहीं जरा भी ध्यान। खुलेआम हम फेंक रहे हैं, कचरा; प्लास्टिक का सामान। देख विचित्र आज का मानव, गंगा माँ भी है हैरान। बहुत हुआ, अब माफ करो।               गंगा को अब साफ ...

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लेखक के बारे में
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Arjun Maurya Ramj
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Meera Sajwan "मानवी"
    22 फ़रवरी 2019
    गंगा को हम एक नदी नहीं माँ मानते हैं फिर उसकी पवित्रता बनाये रखना उसके बच्चों का कर्तव्य बनता है ।संदेश प्रदान करने का बहुत अच्छा प्रयास ।
  • author
    Rehan Aabid Ali "राक"
    11 फ़रवरी 2019
    भारत में गंगा को पूजा जाता है, लेकिन उसमे badte प्रदूषण के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है, अच्छी कविता
  • author
    13 फ़रवरी 2019
    एक अच्छा संदेश देती हुई उत्तम रचना
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    Meera Sajwan "मानवी"
    22 फ़रवरी 2019
    गंगा को हम एक नदी नहीं माँ मानते हैं फिर उसकी पवित्रता बनाये रखना उसके बच्चों का कर्तव्य बनता है ।संदेश प्रदान करने का बहुत अच्छा प्रयास ।
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    Rehan Aabid Ali "राक"
    11 फ़रवरी 2019
    भारत में गंगा को पूजा जाता है, लेकिन उसमे badte प्रदूषण के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है, अच्छी कविता
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    13 फ़रवरी 2019
    एक अच्छा संदेश देती हुई उत्तम रचना