गंगा माँ कहते हैं जिनको, देते नहीं जरा भी ध्यान। खुलेआम हम फेंक रहे हैं, कचरा; प्लास्टिक का सामान। देख विचित्र आज का मानव, गंगा माँ भी है हैरान। बहुत हुआ, अब माफ करो। गंगा को अब साफ ...
गंगा माँ कहते हैं जिनको, देते नहीं जरा भी ध्यान। खुलेआम हम फेंक रहे हैं, कचरा; प्लास्टिक का सामान। देख विचित्र आज का मानव, गंगा माँ भी है हैरान। बहुत हुआ, अब माफ करो। गंगा को अब साफ ...