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आज के युग का अमर प्रेम

4.6
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कमरे में अभी भी बस लैपटॉप की मद्धिम नीली प्रकाश थी, मगर वहां जीवन का एक अनंत प्रकाश भी फैला था. दारू और सिगरेट की जगह प्रेम और सेवा की सुगन्धि फैली हुई थी. और कोने में वही बिस्तर परा था, जहाँ आज ...

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लेखक के बारे में
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शीत राज
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    sachin singh
    02 मई 2019
    प्रेम का मतलब सिर्फ पाना ही नहीं होता, प्रेम तो वह सुखद एहसास है जो इंसान को हमेशा जीवंत बनाए रखता है। यह एक पवित्र अनुभूति है जो अपने प्रेयसी से अलग होने के बाद भी उसके सुख की कामना करता है। प्रेम की पवित्रता ही उसके अर्थ को सार्थकता प्रदान करती है।
  • author
    Guddi Jha
    20 मई 2017
    बहुत भावुक कहानी है शीत जी. दिल को छू गयी. सच में प्यार सिर्फ मिल जाने का नाम नहीं. सबसे अच्छी चीज जो लगी, वो ये कि, कहानी जिस मद्धिम रोशनी वाले कमरे से शुरू हुई थी, उसी कमरे में उसी मद्धिम रोशनी में ख़तम होती है. एक उत्कृष्ट रचना.
  • author
    Dev Sanwal
    05 जुलाई 2020
    मुझे लगता है कि इस कहानी के शब्दों ने मुझे फिर से शायद जीना सीख दिया हो।
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    sachin singh
    02 मई 2019
    प्रेम का मतलब सिर्फ पाना ही नहीं होता, प्रेम तो वह सुखद एहसास है जो इंसान को हमेशा जीवंत बनाए रखता है। यह एक पवित्र अनुभूति है जो अपने प्रेयसी से अलग होने के बाद भी उसके सुख की कामना करता है। प्रेम की पवित्रता ही उसके अर्थ को सार्थकता प्रदान करती है।
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    Guddi Jha
    20 मई 2017
    बहुत भावुक कहानी है शीत जी. दिल को छू गयी. सच में प्यार सिर्फ मिल जाने का नाम नहीं. सबसे अच्छी चीज जो लगी, वो ये कि, कहानी जिस मद्धिम रोशनी वाले कमरे से शुरू हुई थी, उसी कमरे में उसी मद्धिम रोशनी में ख़तम होती है. एक उत्कृष्ट रचना.
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    Dev Sanwal
    05 जुलाई 2020
    मुझे लगता है कि इस कहानी के शब्दों ने मुझे फिर से शायद जीना सीख दिया हो।