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आज दिल कुछ उदास है...

4.9
43

आज दिल कुछ उदास है... आज  ये  दिल   कुछ   उदास  है शायद  इसे  किसी  कि तलाश है मत घबराना सब अच्छा ही होगा मेरा खुदा यही कहीं आस पास है जब भी पूछते वो मेरा हाल मुझसे हंस कर कहती हूं सब झक्कास है वो ...

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लेखक के बारे में
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प्रीती वर्मा

शायर यूं ही नहीं कमाल का जिगर रखते हैं होंठों पे हंसी दिल में दर्द ए समुन्दर रखते हैं

समीक्षा
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    Sumit Tiwari "निदान"
    23 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    उदासी ने जब जब किसी ढ़का तब तब अपने सबसे करीब की याद स्वत: आती है और यदि कोई अपना उदासी के समय याद न आए तो ज्ञान की आवश्यकता रहती है.. इन दोनों की अनुपस्थिति में साकार ब्रह्म आनन्दित करता है पर किसी किसी के जीवन में इन तीनों का अभाव मिलता है, वो लोग अवसाद में घिर जाते हैं या आत्महत्या के बारे में सोचने लगते है.. मनोविज्ञान का नियम कहता है जीवन में अभ्यास, प्रभाव, चेष्टा का सन्तुलित अनुपात बहुत ही आवश्यक है.. बार बार याद आए ये अभ्यास है, जिसकी याद आ रही है वह प्रभाव है और याद करते करते उनके जैसे बनने का प्रयास करने लगता है वही चेष्टा है.. आपके लेखन के बारे में क्या कहूँ.. यथार्थ और मेरी ईमानदारी ये कहती है कि आपके लेखन का स्तर मेरे लिए आदर्श है पर मैं आशा करूँगा आप प्रीत बनकर ही अपने आप ढूढेंगे.. धन्यवाद जी आपका कानपुर के शेर 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐
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    Barkat Sahra "सहरा"
    16 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    वाह! बेहद उम्दा, लाजवाब, बेमिसाल और नायाब ग़ज़ल मेरे अज़ीज़! बेहद ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ और अंदाज़-ए-बयां। हर इक लफ़्ज़ दिल में उतर गया। बहुत ही दिलकश क़ाफ़िया आराई और असरदार ग़ज़ल। 💘👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🌟🌟🌟🌟🌟⭐⭐⭐⭐⭐💎💎💎💎💎💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐🌹🌹🌺🌺🌷🌷😊👌💞❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आपकी हंसी ही तो सबसे ख़ास है इक यही दौलत है जो हमारे पास है सारी उदासी दीजिये हमें और मुस्कुराइये हमारी आपसे बस इतनी सी अरदास है
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    16 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    बुझती नहीं तेरी दीद की प्यास है। तू रहे कहीं भी मगर तू मेरे पास है। बिन तेरे रूह को सुकूं नहीं आता। तू सिर्फ़ तू नहीं तू मेरी एहसास है। उम्दा पेशकश जी। लाज़वाब अशआर। बेहद ही खूबसूरत रचना। 💐💐💐💐💐💐💐
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    Sumit Tiwari "निदान"
    23 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    उदासी ने जब जब किसी ढ़का तब तब अपने सबसे करीब की याद स्वत: आती है और यदि कोई अपना उदासी के समय याद न आए तो ज्ञान की आवश्यकता रहती है.. इन दोनों की अनुपस्थिति में साकार ब्रह्म आनन्दित करता है पर किसी किसी के जीवन में इन तीनों का अभाव मिलता है, वो लोग अवसाद में घिर जाते हैं या आत्महत्या के बारे में सोचने लगते है.. मनोविज्ञान का नियम कहता है जीवन में अभ्यास, प्रभाव, चेष्टा का सन्तुलित अनुपात बहुत ही आवश्यक है.. बार बार याद आए ये अभ्यास है, जिसकी याद आ रही है वह प्रभाव है और याद करते करते उनके जैसे बनने का प्रयास करने लगता है वही चेष्टा है.. आपके लेखन के बारे में क्या कहूँ.. यथार्थ और मेरी ईमानदारी ये कहती है कि आपके लेखन का स्तर मेरे लिए आदर्श है पर मैं आशा करूँगा आप प्रीत बनकर ही अपने आप ढूढेंगे.. धन्यवाद जी आपका कानपुर के शेर 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐
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    Barkat Sahra "सहरा"
    16 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    वाह! बेहद उम्दा, लाजवाब, बेमिसाल और नायाब ग़ज़ल मेरे अज़ीज़! बेहद ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ और अंदाज़-ए-बयां। हर इक लफ़्ज़ दिल में उतर गया। बहुत ही दिलकश क़ाफ़िया आराई और असरदार ग़ज़ल। 💘👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌🌟🌟🌟🌟🌟⭐⭐⭐⭐⭐💎💎💎💎💎💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐🌹🌹🌺🌺🌷🌷😊👌💞❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आपकी हंसी ही तो सबसे ख़ास है इक यही दौलत है जो हमारे पास है सारी उदासी दीजिये हमें और मुस्कुराइये हमारी आपसे बस इतनी सी अरदास है
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    16 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    बुझती नहीं तेरी दीद की प्यास है। तू रहे कहीं भी मगर तू मेरे पास है। बिन तेरे रूह को सुकूं नहीं आता। तू सिर्फ़ तू नहीं तू मेरी एहसास है। उम्दा पेशकश जी। लाज़वाब अशआर। बेहद ही खूबसूरत रचना। 💐💐💐💐💐💐💐