pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आईना

4.4
7255

<p>दंभ से भरे युवा अधिकारियों को ग्रामीण महिलाओं द्वारा आईना दिखाने की कोशिश करती यह कहानी&nbsp;</p>

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
रमेश शर्मा

परिचय नाम -- रमेश शर्मा जन्म -- 06 जून 1966 शिक्षा --एम.एस-सी.( गणित ), बी.एड. सम्प्रति -- व्याख्याता , कृतियाँ●कहानी संग्रह* पहला कहानी संग्रह "मुक्ति" बोधि प्रकाशन जयपुर से 2013 में प्रकाशित , दूसरा कहानी संग्रह " एक मरती हुई आवाज" अधिकरण प्रकाशन दिल्ली से 2019 में प्रकाशित .तीसरा कहानी संग्रह 'उस घर की आंखों से'2022 में न्यू वर्ल्ड प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित। कविता संग्रह "वे खोज रहे थे अपने हिस्से का प्रेम " अधिकरण प्रकाशन दिल्ली से 2019 में प्रकाशित . सृजन -- समकालीन भारतीय साहित्य, परिकथा, समावर्तन, परस्पर, पाठ, अक्षरपर्व, माटी, द सन्डे पोस्ट, हिमप्रस्थ इत्यादि में कहानियां प्रकाशित | हंस (अगस्त 2014) में लघुकथा प्रकाशित | इसके अलावा--- हंस ,परिकथा,कथन,अक्षरपर्व,इन्द्रप्रस्थ-भारती, समावर्तन, सूत्र, सर्वनाम, आकंठ , माध्यम, हिमप्रस्थ इत्यादि में कविताएँ प्रकाशित | सम्मान - राज्यपाल के हाथों छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान . संपर्क-- 92 श्रीकुंज , बीज निगम के सामने , बोईरदादर , रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ ) पिन- 496001, मो. 9752685148 इमेल -- [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    इन्द्र लाल मीणा
    17 जुलाई 2019
    बहुत अच्छा
  • author
    शुभा शर्मा
    17 जुलाई 2019
    बहुत ही अच्छी कहानी है, हम लोग भी पूरे गांव में रिश्ता बना कर रखते थे चाहे कोई भी जाति या धर्म हो।ये बात शहरों में नहीं मिलती।
  • author
    Amitabh Shankar
    19 जुलाई 2019
    आज के आधुनिक भारत में लोग अपने को साहब या सर कहने पर शान समझते है, लेकिन ये हमारे भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    इन्द्र लाल मीणा
    17 जुलाई 2019
    बहुत अच्छा
  • author
    शुभा शर्मा
    17 जुलाई 2019
    बहुत ही अच्छी कहानी है, हम लोग भी पूरे गांव में रिश्ता बना कर रखते थे चाहे कोई भी जाति या धर्म हो।ये बात शहरों में नहीं मिलती।
  • author
    Amitabh Shankar
    19 जुलाई 2019
    आज के आधुनिक भारत में लोग अपने को साहब या सर कहने पर शान समझते है, लेकिन ये हमारे भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है।