pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आईना

4.3
17666

आज सुबह सो ही रहा था कि अचानक किसी ने दरवाजे पे दस्तक़ दी। घर से बाहर अकेले रह रहे लौंडे के साथ ऐसा होना भी सोंचने को मजबूर कर देता है कि आख़िर इतनी सुबह कौन हो सकता है। रात बीयर ज्यादा पी ली थी तो ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

''ख़ुद'' को ''तलाशता'' हुआ एक इंसा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mujahid Saifi
    15 ఏప్రిల్ 2018
    आज की औलाद को झंझोड़ कर रख दिया
  • author
    15 ఏప్రిల్ 2018
    दिल छू लिया भाई आपने।
  • author
    Adarsh Raj
    16 అక్టోబరు 2017
    अति उत्तम
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mujahid Saifi
    15 ఏప్రిల్ 2018
    आज की औलाद को झंझोड़ कर रख दिया
  • author
    15 ఏప్రిల్ 2018
    दिल छू लिया भाई आपने।
  • author
    Adarsh Raj
    16 అక్టోబరు 2017
    अति उत्तम