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आहों का हिसाब किताब

4.1
2943

निम्मो की उम्र ढल रही थी ,जो ऊँचाइयाँ छूना चाहती थी न छू सकी ,सो जो मिला उससे समझौता कर चुकी थी।अब तो बस ऊपर वाले की अदालत का ख़ौफ़ और उसके पास जा कर अपने कर्मों का हिसाब किताब समझने का वक्त आ चुका ...

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लेखक के बारे में

स्त्रियों का जीवन सम्वेदनशीलता को प्राधान्य देता है समाज में मेरे इर्द गिर्द की औरतों में कहानियाँ ढूंढ लेती हूँ। जन्म स्थल झांसी सम्प्रति नागपुर से

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kalpana Jain
    06 September 2021
    कथानक ही नहीं तो कहानी कैसी
  • author
    P
    03 December 2019
    wow . kya khub likha h
  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    05 May 2018
    बहुत अच्छी रचना
  • author
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    Kalpana Jain
    06 September 2021
    कथानक ही नहीं तो कहानी कैसी
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    P
    03 December 2019
    wow . kya khub likha h
  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    05 May 2018
    बहुत अच्छी रचना