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आहों का हिसाब किताब

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4.1

निम्मो की उम्र ढल रही थी ,जो ऊँचाइयाँ छूना चाहती थी न छू सकी ,सो जो मिला उससे समझौता कर चुकी थी।अब तो बस ऊपर वाले की अदालत का ख़ौफ़ और उसके पास जा कर अपने कर्मों का हिसाब किताब समझने का वक्त आ चुका ...