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आह से आहा तक

4.8
196

तेरे नाज नखरे वो तेरे सितम ऊपर से बेरूखी ऊफ लुट ही गए हम तेरे महंगे शौक तेरा सस्ता प्यार बात बात पे बिगड जाना हो जाना ब्रैकअप के लिए तैयार तेरे गुलाबी होंठ तेरी मस्त चाल अच्छे अच्छों के लहू मे ला ...

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लेखक के बारे में
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Kuldeep Hooda

किस किस से लूँ मेरे जख्मों का हिसाब.. दिए हैं मुझे यहां सब ने गम बेहिसाब..

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 सितम्बर 2018
    यथार्थ चित्रण आज के दौर में सच्चे प्यार को ढूंढना वास्तव में ही बहुत कठिन कार्य है।
  • author
    अचलेश
    18 सितम्बर 2018
    क्या बात है !बहुत खूब।
  • author
    Mukesh Ram Nagar
    11 जुलाई 2018
    अहा... क्या बात!👌
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    06 सितम्बर 2018
    यथार्थ चित्रण आज के दौर में सच्चे प्यार को ढूंढना वास्तव में ही बहुत कठिन कार्य है।
  • author
    अचलेश
    18 सितम्बर 2018
    क्या बात है !बहुत खूब।
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    Mukesh Ram Nagar
    11 जुलाई 2018
    अहा... क्या बात!👌