एक आह कराहती है सीने में मायूसी छाई है जीने में अतीत के दरवाजों के दरारों से जब यादें लौटती हैं फिर से जब ना चाह कर भी खो जाता हूँ ख्यालों में जब बेजान सा होकर रह जाता हूँ तब एक आह कराहती है सीने ...
एक आह कराहती है सीने में मायूसी छाई है जीने में अतीत के दरवाजों के दरारों से जब यादें लौटती हैं फिर से जब ना चाह कर भी खो जाता हूँ ख्यालों में जब बेजान सा होकर रह जाता हूँ तब एक आह कराहती है सीने ...