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आ लेके चलूं तुझको एक ऐसे देश में ...

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जी चाहता है कभी दूर इस बनावटी दुनिया से, पहाड़ियों में खो जाऊं, दूर उस पावन से निश्चल स्वच्छ से , झरने में सराबोर हो जाऊं, भीग जाऊं अंतर्मन तक ऐसे, कि हो जाये मन मेरा श्वेतंबरी , घूमूं स्वच्छंद ...

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लेखक के बारे में
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Manu Mitali
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr. Sunil Kr. Mishra
    22 ഏപ്രില്‍ 2022
    वाह, शानदार प्रस्तुति आपकी लाजवाब
  • author
    Ashok Kumar Ray
    22 ഏപ്രില്‍ 2022
    Excellent
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    Dr. Sunil Kr. Mishra
    22 ഏപ്രില്‍ 2022
    वाह, शानदार प्रस्तुति आपकी लाजवाब
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    Ashok Kumar Ray
    22 ഏപ്രില്‍ 2022
    Excellent