इक उम्र होती है न जब बचपन खत्म होने को हो और जवानी अभी आई न हो, वह अल्हड़ उम्र, जिसमें मन प्रेम के नए नए एहसासों को छू छू कर खिलता सा जाता है,,, शिखा उम्र के उसी दौर में थी। गेहुआँ रंग,,गहरी भूरी ...
शब्द नहीं है तारीफ करने को । बहुत दिन बाद दिल मे शब्दों के एहसासों को महसूस किया है । पहले आप की कहानी अनंत पढ़ी फिर ये । अब खुद को रोकना मुश्किल है आप को पढ़ने से। बस जब राज और शिखा की खुमारी उतरेगी तभी दूसरी कहानी को महसूस करूँगी। अभी तो मुझे नैनीताल की पहाड़ियों में खोना है इस कहानी को थोड़ा और जीना है
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शब्द नहीं है तारीफ करने को । बहुत दिन बाद दिल मे शब्दों के एहसासों को महसूस किया है । पहले आप की कहानी अनंत पढ़ी फिर ये । अब खुद को रोकना मुश्किल है आप को पढ़ने से। बस जब राज और शिखा की खुमारी उतरेगी तभी दूसरी कहानी को महसूस करूँगी। अभी तो मुझे नैनीताल की पहाड़ियों में खोना है इस कहानी को थोड़ा और जीना है
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