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अ नाॅट अनटाइड

4.7
28516

इक उम्र होती है न जब बचपन खत्म होने को हो और जवानी अभी आई न हो, वह अल्हड़ उम्र, जिसमें मन प्रेम के नए नए एहसासों को छू छू कर खिलता सा जाता है,,, शिखा उम्र के उसी दौर में थी। गेहुआँ रंग,,गहरी भूरी ...

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लेखक के बारे में

खुद से करती हूँ खुद की बातें, मैं खुद अपनी हमसफर हूँ।

समीक्षा
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  • author
    Samiksha Pandey
    06 ജനുവരി 2019
    शब्द नहीं है तारीफ करने को । बहुत दिन बाद दिल मे शब्दों के एहसासों को महसूस किया है । पहले आप की कहानी अनंत पढ़ी फिर ये । अब खुद को रोकना मुश्किल है आप को पढ़ने से। बस जब राज और शिखा की खुमारी उतरेगी तभी दूसरी कहानी को महसूस करूँगी। अभी तो मुझे नैनीताल की पहाड़ियों में खोना है इस कहानी को थोड़ा और जीना है
  • author
    17 ഡിസംബര്‍ 2018
    बहुत खूबसूरत लिखा है,और सबसे अच्छा तो नाम है 'शिखा' कभी कभी जीवन का सार हो जाता है।
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    Samiksha Pandey
    06 ജനുവരി 2019
    शब्द नहीं है तारीफ करने को । बहुत दिन बाद दिल मे शब्दों के एहसासों को महसूस किया है । पहले आप की कहानी अनंत पढ़ी फिर ये । अब खुद को रोकना मुश्किल है आप को पढ़ने से। बस जब राज और शिखा की खुमारी उतरेगी तभी दूसरी कहानी को महसूस करूँगी। अभी तो मुझे नैनीताल की पहाड़ियों में खोना है इस कहानी को थोड़ा और जीना है
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    17 ഡിസംബര്‍ 2018
    बहुत खूबसूरत लिखा है,और सबसे अच्छा तो नाम है 'शिखा' कभी कभी जीवन का सार हो जाता है।