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अ डॉग्स लव स्टोरी

4.6
7159

वो चली गयी , अब दरवाजो के पीछे से कोई कूँ कूँ की आवाज़ नहीं आती , दीवारों पर कोई अपने पंजे नहीं खुरचता दिन तो मेरा अब भी कट जाता है , पर दोपहरी नहीं कटती , जब सब खा के सो जाते हैं , तो मैं उसी ...

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लेखक के बारे में
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पंकज मिश्र

लिखने का शौक था , तो सोचा क्यों न ना अपनी मातृभाषा में लिखूं !! उस जुबान में बात करूँ जिसे हम सबसे ज्यादा समझते हैं , मेरी कोशिश उन लोगो तक पहुचने की है जिन्हें अपनी भाषा पे गर्व है !!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अंकित शर्मा
    20 നവംബര്‍ 2018
    दिल छू जाने वाली पंक्ति.. "शायद इंसानियत, इंसान और जानवर को अलग अलग देखती है, हम बेज़ुबानों की तड़प तो बस हम तक रह जाती है." एक बच्चे को उसकी माँ से अलग करने वाला सच में दंड का पात्र है, चाहे वह बच्चा इंसान का हो या जानवर का. 😔
  • author
    rachna
    28 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    बहुत ही मार्मिक और सुन्दर! इसे पढ़कर पाँच साल पहले की यादें ताज़ा हो गई जब मैने गली मे एक कुत्ते के परिवार को पलते और बिखर कर नष्ट होते देखा। उनकी दोनों स्थितियों के जिम्मेदार गली के लोग ही थे।
  • author
    Rohit Jain "Jain"
    14 ജൂണ്‍ 2017
    nice story
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  • author
    अंकित शर्मा
    20 നവംബര്‍ 2018
    दिल छू जाने वाली पंक्ति.. "शायद इंसानियत, इंसान और जानवर को अलग अलग देखती है, हम बेज़ुबानों की तड़प तो बस हम तक रह जाती है." एक बच्चे को उसकी माँ से अलग करने वाला सच में दंड का पात्र है, चाहे वह बच्चा इंसान का हो या जानवर का. 😔
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    rachna
    28 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    बहुत ही मार्मिक और सुन्दर! इसे पढ़कर पाँच साल पहले की यादें ताज़ा हो गई जब मैने गली मे एक कुत्ते के परिवार को पलते और बिखर कर नष्ट होते देखा। उनकी दोनों स्थितियों के जिम्मेदार गली के लोग ही थे।
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    Rohit Jain "Jain"
    14 ജൂണ്‍ 2017
    nice story