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शाम के धुन्धलके में कुछ अधमरे से लोग एक धूसर और ठिगनी मुंडेर के इस ओर खड़े थे. मुंडेर के दूसरी ओर कुछ शिशुओं की लाशें देखी जा सकती थीं, जो स्वस्थ और अपनी उम्र से बड़े दिख रहे थे. तभी एक कसाईनुमा ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    06 മെയ്‌ 2018
    लेखनी का प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है.
  • author
    ekanshi Jalan
    05 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    bakwas
  • author
    Rajender Saroch
    10 ഡിസംബര്‍ 2018
    sorry not so good
  • author
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  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    06 മെയ്‌ 2018
    लेखनी का प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है.
  • author
    ekanshi Jalan
    05 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    bakwas
  • author
    Rajender Saroch
    10 ഡിസംബര്‍ 2018
    sorry not so good