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पच्चीस वर्ष बाद

4.3
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आज सुबह की डाक से मिले पत्र ने मुझे चौंका दिया। पुरानी यादें ताज़ा हो गई। मानस पटल पर चल-चित्र कि भाँति मेरे नागपुर में गुज़ारे दिन सामने आने लगे। पच्चीस वर्ष पूर्व की वह सुबह जब चलती ट्रेन में मेरी ...

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लेखक के बारे में

एक साधारण मनुष्य जिसे आप रोज रास्ते मे आते जाते सैंकड़ों की तादाद में देखते होंगे। कभी कभी अपने पारिवारिक जीवन की जद्दोजहत के बीच दिमाग मे घुमड़ते हुए विचारों को शब्दों की शक्ल में उतार लेता हूँ। उन्ही शब्दों से बुनी कुछ रचनाएँ यहा आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि इन्हे पढ़ने में लगा आपका समय व्यर्थ नहीं जाएगा। साथ ही एक गुजारिश है कि मेरी गलतियों पर प्रकाश डाल मुझे अपने सुझावों से अवगत कराएं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dharmpal Matwa
    04 जुलाई 2018
    बहुत ही खूब भाई जी इस के आगे का वर्णन भी जल्दी करिये
  • author
    Manoj Shrivastava
    07 मई 2018
    ठीक है किंतु अंत और बेहतर होना चाहिए था।
  • author
    आशीष पाण्डेय
    18 मार्च 2018
    अगर मेरे पास इन कहानियों को सराहित करने हेतु 10 रेटिंग भी होती तो शायद वः भी कम पड़ती....😢👌👌👌 बहुत ही सुन्दर और भावनात्मक प्रस्तुति
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    Dharmpal Matwa
    04 जुलाई 2018
    बहुत ही खूब भाई जी इस के आगे का वर्णन भी जल्दी करिये
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    Manoj Shrivastava
    07 मई 2018
    ठीक है किंतु अंत और बेहतर होना चाहिए था।
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    आशीष पाण्डेय
    18 मार्च 2018
    अगर मेरे पास इन कहानियों को सराहित करने हेतु 10 रेटिंग भी होती तो शायद वः भी कम पड़ती....😢👌👌👌 बहुत ही सुन्दर और भावनात्मक प्रस्तुति