अपने खै़रख़्वाह से दिखने वाले व्यक्ति को चुनकर प्रजा बना देती है एक दिन राजा। और फिर राजा सब कुछ भूलकर जुट जाता है अपनी ही खै़रमक़्दम में। पलक झपकते ही वह बन बैठता है साधारण से असाधारण और फिर राजा से ...
पूर्व केंद्र सरकार प्रथम श्रेणी अधिकारी/संपादक/कवि/गायक/अभिनेता/कार्टूनिस्ट/कलाकर्मीं.
"खरी-खरी" जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से देश भर में विभिन्न कुरीतियों के खिलाफ, मैत्री भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव हेतु प्रयत्नशील..
मो. 9599600313, 8447673015
ईमेल: [email protected]
सारांश
पूर्व केंद्र सरकार प्रथम श्रेणी अधिकारी/संपादक/कवि/गायक/अभिनेता/कार्टूनिस्ट/कलाकर्मीं.
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यथार्थ का दर्पण दिखाती हुई कविता ’नियति’ वास्तव में आज प्रत्येक उस व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाती है जो लोकतन्त्र में विश्वास करता है। जनमानस के पटल पर इस कविता के अवयव सहज ही देखने को मिलते है फिर वह चाहें गांव में सुदूर बैठा किसान हो अथवा शहर में संघर्ष करता हुआ नवयुवक हो। ऐसी पीड़ा को दिखाने की कल्पना को प्रदर्शित करने के लिये श्री किशोर श्रीवास्तव जी को कोटि कोटि धन्यवाद और बधाई।
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किशोर जी की 'नियति' और 'मेरा कसूर' रचनाएँ पढ़ीं।
जहाँ 'नियति' राजनेताओं पर प्रखर प्रहार है वहीँ 'मेरा कसूर' मर्म को छू जाने वाली रचना है।
इतना ही नहीं हम रामराज्य और अहिंसा की माला जपने वाले, यत्र पूज्यंते नारी रमंते तत्र देव कहने वाले देश और समाज पर कड़ा तमाचा है।
इन्हें केवल सामयिक रचनाएँ नहीं कहा जा सकता ये अपने आप में बड़े प्रश्न समेटे हैं .... आह्वान हैं बेहतर व्यवस्था और तंत्र का।
बधाई किशोर जी !
शुभकामनाओं सहित
सुशीला शिवराण
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यथार्थ का दर्पण दिखाती हुई कविता ’नियति’ वास्तव में आज प्रत्येक उस व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाती है जो लोकतन्त्र में विश्वास करता है। जनमानस के पटल पर इस कविता के अवयव सहज ही देखने को मिलते है फिर वह चाहें गांव में सुदूर बैठा किसान हो अथवा शहर में संघर्ष करता हुआ नवयुवक हो। ऐसी पीड़ा को दिखाने की कल्पना को प्रदर्शित करने के लिये श्री किशोर श्रीवास्तव जी को कोटि कोटि धन्यवाद और बधाई।
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इतना ही नहीं हम रामराज्य और अहिंसा की माला जपने वाले, यत्र पूज्यंते नारी रमंते तत्र देव कहने वाले देश और समाज पर कड़ा तमाचा है।
इन्हें केवल सामयिक रचनाएँ नहीं कहा जा सकता ये अपने आप में बड़े प्रश्न समेटे हैं .... आह्वान हैं बेहतर व्यवस्था और तंत्र का।
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