आज जो देखा आखों ने वह वर्णन करना मुश्किल खड़े है मेरे रोम, अभी तक धड़क रहा मेरा दिल। इतनें ऊचें महल बने है, पहाड़ के सीने पर आंधी में गिर सकते, बनाये क्या ये समझकर ? चार चार छः छः मंजिल लम्बी तास कि तरह ...
आज जो देखा आखों ने वह वर्णन करना मुश्किल खड़े है मेरे रोम, अभी तक धड़क रहा मेरा दिल। इतनें ऊचें महल बने है, पहाड़ के सीने पर आंधी में गिर सकते, बनाये क्या ये समझकर ? चार चार छः छः मंजिल लम्बी तास कि तरह ...