सोनम आंखों में ढेर सारी खुशियां भरे हुए सुबह के इंतजार में सो गयी 😴 थी,इस बात से अंजान कि आने वाला समय उसकी जिंदगी में हलचल मचा कर रख देगा 😨। सोनम आज सुबह जल्दी ही उठ गयी थी।अपना कमरा वो खुद ...
कहानी अच्छी है परन्तु मुझे पहला संस्करण अधिक पसंद था। यकीन मानिये जब उसका आखिरी भाग पढ़ रही थी, तब आँखे नम थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ छूट रहा है। उस कहानी और उसके किरदार की आपस की केमिस्ट्री बहुत ही प्यारी थी। वैसे क्या ये जरूरी है कि हर बार कहानी का नायक सङू, मि ऐरोगेन्ट हो और नायिका सीधी सादी, बिना मुँह में जबान की हो। विपरीत भी तो हो सकता है। आखिर म्हारी छोरियां छोरों से कम है के अकङ दिखाण में। आखिर में एक बात आपकी भाषा शैली बहुत ही उम्दा है। शब्दों का चयन भी बहुत खुबसूरती स करती हैं आप।
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कहानी अच्छी है परन्तु मुझे पहला संस्करण अधिक पसंद था। यकीन मानिये जब उसका आखिरी भाग पढ़ रही थी, तब आँखे नम थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ छूट रहा है। उस कहानी और उसके किरदार की आपस की केमिस्ट्री बहुत ही प्यारी थी। वैसे क्या ये जरूरी है कि हर बार कहानी का नायक सङू, मि ऐरोगेन्ट हो और नायिका सीधी सादी, बिना मुँह में जबान की हो। विपरीत भी तो हो सकता है। आखिर म्हारी छोरियां छोरों से कम है के अकङ दिखाण में। आखिर में एक बात आपकी भाषा शैली बहुत ही उम्दा है। शब्दों का चयन भी बहुत खुबसूरती स करती हैं आप।
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