सौ वर्षों से हिन्दी सिनेमा दुविधा के पथ पर है। कौन कहे साहित्य इसे कविता, कथा या रुपक है? इधर जरुरत यन्त्र-मन्त्र, और सही तन्त्र की देखो। भारतीय लेखन उत्तम, पाठक को तरसे देखो। आगे दिखे फ़िल्म उस तरफ़, ...
सौ वर्षों से हिन्दी सिनेमा दुविधा के पथ पर है। कौन कहे साहित्य इसे कविता, कथा या रुपक है? इधर जरुरत यन्त्र-मन्त्र, और सही तन्त्र की देखो। भारतीय लेखन उत्तम, पाठक को तरसे देखो। आगे दिखे फ़िल्म उस तरफ़, ...