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सपने का उद्घाटन (पुरस्कृत कहानी)

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सपने का उद्घाटन      "आ गया भाई, सक्सेना सर ने आज क्लास में क्या पढ़ाया?" बेड पर लेटे सुशांत ने पूछा ..

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लेखक के बारे में
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सुशील चुघ

लेखक नहीं हूं पर पढ़ने, लिखने का शौक है। कोशिश है कि आप मेरी रचनाओं से समाज के विभिन्न रंग देख पाएं। शिक्षा: एम.एस.सी., बी.एड., सी.ए.आई.आई.बी.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajiv Sharma
    06 फ़रवरी 2020
    एक-एक घटना को आपने विज्ञान के आधार पर बहुत बेहतरीन ढंग से पिराया है। बहुत ही सुन्दर ढंग से रचना प्रकाशित की है आपने सर 🙏 बहुत बढ़िया 💐
  • author
    Vidhyanshi
    05 मार्च 2020
    बहुत ही सुंदर एवं रोचक प्रस्तुति। वैज्ञानिकों के लिए एक नया विचार और नेताओं पर कटाक्ष। 👌👌👌
  • author
    नेहा बिंदल
    07 फ़रवरी 2020
    बहुत सुंदर रोचक ढंग से आपने मुद्दे को वैज्ञानिक झोला पहनाया। बहुत ही प्रशंसनीय रचना।
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    Rajiv Sharma
    06 फ़रवरी 2020
    एक-एक घटना को आपने विज्ञान के आधार पर बहुत बेहतरीन ढंग से पिराया है। बहुत ही सुन्दर ढंग से रचना प्रकाशित की है आपने सर 🙏 बहुत बढ़िया 💐
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    Vidhyanshi
    05 मार्च 2020
    बहुत ही सुंदर एवं रोचक प्रस्तुति। वैज्ञानिकों के लिए एक नया विचार और नेताओं पर कटाक्ष। 👌👌👌
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    नेहा बिंदल
    07 फ़रवरी 2020
    बहुत सुंदर रोचक ढंग से आपने मुद्दे को वैज्ञानिक झोला पहनाया। बहुत ही प्रशंसनीय रचना।