सच्चे किस्से!!!! धौली धौली उसका घर का नाम था। अब कॉलेज और स्कूल जाती सहेलियों में एक दूसरे को घर के नाम से संबोधन करना चलता ही है ना। वैसे उसका नाम था पूर्णिमा। ...
अच्छी रचनाएं पढ़ना हमेशा का शौक रहा. उम्र का एक लंबा सफर तय करने के बाद अब लिखने का शौक भी हुआ. कोशिश यह करूंगी कि आप तक चुनिंदा रचनाएं पहुंचा सकूं. अभी हाल में ऐमेज़ॉन से एक कहानी संग्रह का प्रकाशन हुआ है ----' मन के मनके '
सारांश
अच्छी रचनाएं पढ़ना हमेशा का शौक रहा. उम्र का एक लंबा सफर तय करने के बाद अब लिखने का शौक भी हुआ. कोशिश यह करूंगी कि आप तक चुनिंदा रचनाएं पहुंचा सकूं. अभी हाल में ऐमेज़ॉन से एक कहानी संग्रह का प्रकाशन हुआ है ----' मन के मनके '
उन दिनों की बस यादें ही रह गई हैं, न सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर बचे, न वो कालेज के दिन रहे, अब तो मोबाइल और व्हाट्सएप ,ट्विटर इत्यादि का जमाना आ गया है अब त़ मल्टीप्लेक्स मज सिनेमा का चलन है, अब वो धर्मेंद्र, देवानंद, राजेंद्र कुमार राजेश खन्ना का क्रेज़ भी नहीं रहा। कहानी पढ़कर पुरानी यादें ताजा हो गईं। बहुत बढ़िया।
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दोनों कहानियों ने पुराने दिनों की याद दिला दी सचमुच वह दिन भी क्या दिन थे न मोबाइल न मल्टीप्लेक्स पर फिर भी बहुत मस्ती होती थी अति सुंदर ।मुझे आपकी रचना बहुत अच्छी लगी। मेरे लिए यह रचना सुपर से भी ऊपर
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सुलेखा जी आपकी कहानियां बड़ी अपनी सी लगती हैं
अपना कालेज टाइम और शैतानियाँ याद आ गईं।और बरबस लगता है "कोई लौटादे मेरे बीते हुए दिन"।,👌👌👌👌✍️✍️✍️✍️✍️🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐
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