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सच्चाई

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सच्चाई ******* मानों ना मानों पर, सच को तो स्वीकारो, झूट के बादल से, सच के सूर्य को ना ढापो, मानों ना मानों पर, मौसम तो बदलेगा, तुम भी विचारों के बदलाव को, अंतर्मन से मानों, मानों ना मानों पर, ...

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लेखक के बारे में
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मनीषा सुमन

मैं रागिनी,मैं यामिनी, मैं संजीवनी,मैं ही दामनी मैं चंचल मस्त मंदाकिनी ,मैं मानवी ,मैं मानवी....

समीक्षा
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  • author
    06 अगस्त 2020
    nice
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    Dharm Pal Singh Rawat
    06 अगस्त 2020
    👌👌👌👌👌
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    06 अगस्त 2020
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    Dharm Pal Singh Rawat
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    👌👌👌👌👌