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श्रम स्वेद कणों की महिमा

4.6
159

ईश्वर की कृति का तू पोषण करे जगत में इस हेतु पूर्ति हेतु, ईश्वर ऋणी है तेरा श्रम स्वेद कणों का तेरे, ये देश ऋणी मेरा। तू धूप में जलता है, शीत में गलाता तन है हर ऋतु से कर युद्ध, विजित करता तू ...

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लेखक के बारे में
author
Kishwar Anjum

शिक्षा - एम एस सी, बी एड, पीजीडीसीए मेरा मानना है कि जीवन के हर क्षण में कविता और कहानी छुपी होती है। मुझे सर्वशक्तिमान ने ये वरदान दिया है कि मैं इन बिखरे मोतीयों को इकट्ठा कर कविता और कहानी की मालाओं में पिरो पाती हूं। ईश्वर, अल्लाह, गॉड का अनगिनत शुक्र है, जो मुझे ये हुनर मिला है। पुस्तकें पढ़ने का शौक मेरे अंदर मेरी पूज्य मां ने जगाया। मां की सुनाई हुई कहानियां और घटनाएं ही मेरे लेखक रूप की निर्माता हैं। "कल्पना कम और सच्चाई ज़्यादा", मेरी कहानियों का यही मूल मंत्र है। कोशिश रहती है कि उन शब्दों का प्रयोग करूं, जो आम जनमानस पर आसानी से प्रतिबिंबित हों। आशा है मेरी रचनाएं आपको पसंद आएंगी और हमारा साथ लंबे समय तक चलेगा .

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शान लुधियानवी
    29 ആഗസ്റ്റ്‌ 2019
    आपकी यह रचना प्रतियोगिता में चुनी गई..... मुबारक हो.... ऐसे ही लेखन में अपना योगदान बनाए रखें!
  • author
    Saroj Rajender Pal
    15 ജൂലൈ 2022
    bahut hi sundar rachana hai 👌👌
  • author
    Pratibha Thakur
    02 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    बहुत ही अच्छी रचना .
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  • कुल टिप्पणी
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    शान लुधियानवी
    29 ആഗസ്റ്റ്‌ 2019
    आपकी यह रचना प्रतियोगिता में चुनी गई..... मुबारक हो.... ऐसे ही लेखन में अपना योगदान बनाए रखें!
  • author
    Saroj Rajender Pal
    15 ജൂലൈ 2022
    bahut hi sundar rachana hai 👌👌
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    Pratibha Thakur
    02 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    बहुत ही अच्छी रचना .