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शहतूत का पेड़

4.7
1495

बाल्यावस्था का अबोध मन भावनाओं की गहराई को जितना अधिक समझता है शायद उतना हम परिपक्व होते हुए भी समझ नहीं पाते।

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लेखक के बारे में
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अनिता तोमर

🌺🌺हिंदी साहित्य से गहरा जुड़ाव बचपन से ही है। अनेक रचनाएं साझा संकलन और प्रतिष्ठित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अध्यापन एवं पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण लेखन को अधिक समय नहीं दे पाती, परंतु जितना भी समय मिलता है, उसी में कुछ अच्छा लिखने का प्रयास करती हूं।🌺🌺 😊💐

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajender K Guru
    27 মার্চ 2019
    इस कहानी को पढ़ने के दौरान मेरे दिमाग में अनैक ख़याल आए। पहला की शायद इला या गणेश को उस दीवार को फांदने की सजा मिले लेकिन नहीं मिली। फिर सोचा ऊपर छत पर कोई और विलेन छुपा होगा पर ऐसा भी नहीं हुआ। आखिरकार जब इला और गणेश वापस घर आ गए तो अपने साथ केवल सहतूत नहीं ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद भी लेकर आए। हकीकत तो यही है कि जो लोग बड़े बन जाते हैं उनके बड़े पन का पता तो तब चलता है जब वह अपने बूढ़े माँ बाप का कैसे ख्याल रखता है। इस कहानी को पढ़ने के बाद मैं एक ही बात कह सकता हूँ की मुझे एक कहानीकार के तौर पर बहुत सुधार करना है अभी। अनुपमा जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आपके लिए। सादर गुरु
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    28 মার্চ 2019
    बेहद खूबसूरत और संवेदनशील व मार्मिक कहानी।👌👌👌💐💐💐💐 जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है👌👌👌👌👌
  • author
    Rajni Braj gopal
    31 মার্চ 2019
    बहुत सानदार ,आदमी को किसी भी हालात में धैर को बनाऐ रखना चाहिऐ
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    Rajender K Guru
    27 মার্চ 2019
    इस कहानी को पढ़ने के दौरान मेरे दिमाग में अनैक ख़याल आए। पहला की शायद इला या गणेश को उस दीवार को फांदने की सजा मिले लेकिन नहीं मिली। फिर सोचा ऊपर छत पर कोई और विलेन छुपा होगा पर ऐसा भी नहीं हुआ। आखिरकार जब इला और गणेश वापस घर आ गए तो अपने साथ केवल सहतूत नहीं ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद भी लेकर आए। हकीकत तो यही है कि जो लोग बड़े बन जाते हैं उनके बड़े पन का पता तो तब चलता है जब वह अपने बूढ़े माँ बाप का कैसे ख्याल रखता है। इस कहानी को पढ़ने के बाद मैं एक ही बात कह सकता हूँ की मुझे एक कहानीकार के तौर पर बहुत सुधार करना है अभी। अनुपमा जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आपके लिए। सादर गुरु
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    Asha Shukla ""Asha""
    28 মার্চ 2019
    बेहद खूबसूरत और संवेदनशील व मार्मिक कहानी।👌👌👌💐💐💐💐 जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है👌👌👌👌👌
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    Rajni Braj gopal
    31 মার্চ 2019
    बहुत सानदार ,आदमी को किसी भी हालात में धैर को बनाऐ रखना चाहिऐ