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शक की आग

4.3
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"बाय माँ "......अपने छोटे-छोटे हाथ हिलाता हुआ उदय ऑटो में बैठ कर स्कूल चला गया तो मैंने राहत की साँस ली .....उफ़ ! सुबह-सुबह की भागदौड को एक बार राहत सी मिलती है जब बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है। ...

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लेखक के बारे में
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उपासना सियाग

उपासना सियाग  प्रकाशित रचनाएँ :      1 ) सरिता , सखी जागरण , दैनिक भास्कर और कई पत्र - पत्रिकाओं में कहानियाँ और कविताओं का प्रकाशन।       2 ) छह साँझा काव्य संग्रह और रश्मि प्रभा जी की पुस्तक में लेख ' औरत होना ही अपने आप में एक ताकत है '… का प्रकाशन।  पुरस्कार -सम्मान :-- 2011 का ब्लॉग रत्न अवार्ड , शोभना संस्था द्वारा।  अभिरुचियाँ :-- कहानी , कविता लिखने के साथ ही पढ़ने का भी शौक है।  शिक्षा : बी.एस.सी. (गृह विज्ञान ) महारानी कॉलेज जयपुर ( राजस्थान )  , ज्योतिष रत्न  ए.आई.ऍफ़.ए.एस.( AIFAS) दिल्ली। 

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Bharti Verma
    29 अप्रैल 2020
    सब कुछ कितना ही क्यों न बदला हो पर समाज में आज भी औरत की स्थिति वही है ये एक नीरू की कहानी नहीं है ऐसी कितनी ही नीरू रोज ऐसे हालातों से लड़ती हैं और नरक के समान जीवन व्यतीत करतीं हैं। ईश्वर उन्हें अपने हालातों से लड़ने की शक्ति दे।
  • author
    Nirupama Verma
    28 सितम्बर 2020
    अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी को सार्थक करती है कितना कुछ सहते हुए भी अपने सभी कर्तव्यों को पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करती है! ये शक्ति ईश्वर की ओर से उसे अमूल्य धरोहर के रूप में मिलती है! निरूपमा वर्मा .
  • author
    Divya Tiwari
    05 जुलाई 2020
    galat ki khilaf awaz uthana hi chahiye aur most important koi sath de ya na de koi kuch kare ya na kare hume khud k liye ladna hi chahiye
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    Bharti Verma
    29 अप्रैल 2020
    सब कुछ कितना ही क्यों न बदला हो पर समाज में आज भी औरत की स्थिति वही है ये एक नीरू की कहानी नहीं है ऐसी कितनी ही नीरू रोज ऐसे हालातों से लड़ती हैं और नरक के समान जीवन व्यतीत करतीं हैं। ईश्वर उन्हें अपने हालातों से लड़ने की शक्ति दे।
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    Nirupama Verma
    28 सितम्बर 2020
    अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी को सार्थक करती है कितना कुछ सहते हुए भी अपने सभी कर्तव्यों को पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करती है! ये शक्ति ईश्वर की ओर से उसे अमूल्य धरोहर के रूप में मिलती है! निरूपमा वर्मा .
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    Divya Tiwari
    05 जुलाई 2020
    galat ki khilaf awaz uthana hi chahiye aur most important koi sath de ya na de koi kuch kare ya na kare hume khud k liye ladna hi chahiye