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वो ट्रेन का अजनबी पहला प्यार

4.0
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आज शनाया का अतीत के पन्नों में झांकने का मन बार बार हो रहा है जाने क्यों। आज ही के दिन तो मिले थे वो...वो मतलब शनाया और .........नाम भी तो नही पता मुझे उसका ।। 13 मार्च 2016 जब शनाया पहली बार ...

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लेखक के बारे में

Clinical psychologist मुसाफ़िर........ अंतहीन सफ़र का मुझे जानने की कोशिश न करना, खुद को भूल जाओगे मेरी गुमनाम शख़्शियत में।। खुद से अनजान हूँ पर चेहरे पहचानती हूँ लफ़्ज़ों में लिपटी शख़्शियत को जानती हूँ। । मेरे रास्ते के देवदारों वादा है तुमसे एक दिन दरिया तुमसे होकर गुज़रेगी

समीक्षा
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  • author
    hrishi raj Gupta
    23 जनवरी 2017
    मेरे साथ भी हो चुका है ;आज भी डेट याद है 1/09/2013 ,इतनी मासूम और सुंदर थी कि मै तो उसे देखकर नज़रें हटा लिया पर वो पता नहीं क्यों मुझे देखे जा रही थी ये मैंने थोडी देर बाद मेहसूस किया, हम दोनों एक दुसरे की आँखों में खो से गए ,फिर अचानक से उसका स्टॉप आ गया और वो अपनी माँ के साथ थी . वो चली जा रही थी और मै उसको कुछ पूछने की हिम्मत नही कर पाया उसकी माँ की वजह से .तब से सोचता हूं कि काश उस दिन हिम्मत कर ली होती तो कुछ अलग ही बात होती . still missing ...
  • author
    18 अगस्त 2020
    अक्सर किसी अजनबी से एक मुलाकात खुशनुमा बन जाती है।
  • author
    14 जनवरी 2019
    यथार्थ को शब्दों में पिरोना बखूबी आता है आपको। बहुत शानदार लिखते हैं आप ।
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    hrishi raj Gupta
    23 जनवरी 2017
    मेरे साथ भी हो चुका है ;आज भी डेट याद है 1/09/2013 ,इतनी मासूम और सुंदर थी कि मै तो उसे देखकर नज़रें हटा लिया पर वो पता नहीं क्यों मुझे देखे जा रही थी ये मैंने थोडी देर बाद मेहसूस किया, हम दोनों एक दुसरे की आँखों में खो से गए ,फिर अचानक से उसका स्टॉप आ गया और वो अपनी माँ के साथ थी . वो चली जा रही थी और मै उसको कुछ पूछने की हिम्मत नही कर पाया उसकी माँ की वजह से .तब से सोचता हूं कि काश उस दिन हिम्मत कर ली होती तो कुछ अलग ही बात होती . still missing ...
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    18 अगस्त 2020
    अक्सर किसी अजनबी से एक मुलाकात खुशनुमा बन जाती है।
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    14 जनवरी 2019
    यथार्थ को शब्दों में पिरोना बखूबी आता है आपको। बहुत शानदार लिखते हैं आप ।