अब ट्रेन प्लेटफार्म पर आती दिखने लगी थी| यात्रियों में चहल-पहल शुरू हो गई| अंकुर ने भी राहत की सांस ली और अपने बैग को उठा लिया| ट्रेन का टाइम पर आ जाना भी कितनी राहत की बात होती है, जैसे सुबह टाइम पर प्रेशर आ जाये, वरना बैचैनी और खीझ आपके गले ही पड़ जाती है| अंकुर ने बर्थ पर अपना बैग रखा और जेब से मोबाइल निकालकर नमिता को फ़ोन लगाया| 5 बार लगातार फ़ोन लगाने पर भी, जब उधर से फ़ोन नहीं उठा तो नमिता की चिंता में उसका दिल घबराने लगा| वह जब सुबह घर से निकला था, तब नमिता ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी| ...
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