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वो गुलाब के फूल

9106
4.6

अब ट्रेन प्लेटफार्म पर आती दिखने लगी थी| यात्रियों में चहल-पहल शुरू हो गई| अंकुर ने भी राहत की सांस ली और अपने बैग को उठा लिया| ट्रेन का टाइम पर आ जाना भी कितनी राहत की बात होती है, जैसे सुबह टाइम पर ...